जीवन नदी सा, नदी जीवन दायिनी कल-कल करती बहती सबकी प्राण दायिनी है, जीवन नदी सा, नदी जीवन दायिनी कल-कल करती बहती सबकी प्राण दायिनी है,
आओ मिलकर पेड़ लगाएं------। आओ मिलकर पेड़ लगाएं------।
मैं बलिदान किया करता हूँ, जीवन यूँ ही जिया करता हूँ ... मैं बलिदान किया करता हूँ, जीवन यूँ ही जिया करता हूँ ...
धड़कनों में भी हर पल धड़कते तुम्हीं ज़िन्दगी के भी अन्तिम सहारे हो तुम। धड़कनों में भी हर पल धड़कते तुम्हीं ज़िन्दगी के भी अन्तिम सहारे हो तुम।
मालूम नहीं आज ऐसा ..क्या हुआ था? जो अक्सर तंज कसा करते थे उनका भी... रो रो कर बुरा हाल हुआ था? मालूम नहीं आज ऐसा ..क्या हुआ था? जो अक्सर तंज कसा करते थे उनका भी... रो रो कर ...
मैं सरिता सर-सर, कल-कल करती मन की गहराईयों में अठखेलियां करती हूँ प्रवाहिनी बनकर मैं सरिता सर-सर, कल-कल करती मन की गहराईयों में अठखेलियां करती हूँ ...